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पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट आपको बता दे कि क्लर्क के पद से रेटायर्मेंट व्यक्ति को एक टेस्ट पास न कर पाने पर डिमोट कर चौकीदार बनाने का मामले में पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायलय ने हरियाणा राज्य की निंदा करते हुए दो लाख रुपये का जुर्माना लगा दिया है।
और जनहित याचिका पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में दाखिल करते हुए पानीपत निवासी माया देवी ने बताया कि उसका पति हरियाणा सरकार में हरियाणा पावर जेनरेशन कॉरपोरेशन लिमिटेड में चौकीदार था।
1989 में उसे पदोन्नत कर लोअर डिवीजन क्लर्क बना दिया गया था। इसके बाद याची कॉर्पोरेशन ने उन्हें कंप्यूटर टाइपिंग टेस्ट पास करने को कहा जो अनिवार्य था। याची के पति ने इससे छूट मांगी लेकिन न तो उसे छूट मिली और न ही और नाही टेस्ट पास कर पाया ।
इसी बीच
2012 में वह रिटायरमेंट हो गया। और
2013 में कॉर्पोरेशन ने उसे एक पत्र जारी कर बताया गया कि उसे टेस्ट पास करना होगा वरना उसकी पेंशन व अन्य लाभ चौकीदार के पद के अनुसार तय कर दिए जाएंगे। याची का पति टेस्ट पास न कर सका जिससे याची का पति डिमोट कर चौकीदार मानते हुए रिटायरमेंट व अन्य लाभ तय कर दिए गए। याची के पति की मौत
2018 में हो गई और उसके बाद डिमोट पद के अनुसार ही याची को फैमिली पेंशन मिलने लगी।
इसी आदेश को याची ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। और हाईकोर्ट ने याचिका को मंजूर करते हुए कहा कि राज्य सरकार की कार्रवाई पूरी तरह से मनमानी, चौंकाने वाली और निंदनीय है। यह स्थापित कानून है कि कर्मचारी की सेवानिवृत्ति के बाद, मालिक और नौकर का रिश्ता खत्म हो जाता है। जब याचिकाकर्ता का पति सेवा में था, तब यह शर्त लगा कर उसे डिमोट किया जा सकता था लेकिन वह एलडीसी के रूप में सेवानिवृत्त हो गया। कानून का कोई प्रावधान नहीं है कि सेवानिवृत्ति के बाद किसी कर्मचारी को डिमोट किया जा सके या किसी टेस्ट को पास करने के लिए कहा जा सके।
ऐसे में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने याची के पति को क्लर्क के रूप में ही रिटायरमेंट मान कर सभी रिटायरमेंट लाभ 6 प्रतिशत ब्याज के साथ जारी करने का हरियाणा राज्य सरकार को आदेश दिया है। साथ ही हरियाणा सरकार के मनमाने रवैया पर कड़ा रुख अपनाते हुए 2 लाख रुपये जुर्माना लगाया है।