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सभी बार एसोसिएशन को मिलनी चाहिए फ्री बिजली? जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने की ये अहम टिप्पणी !
कोर्ट में सुनवाई के दौरान अक्सर ऐसे मामले सामने आ जाते हैं, जिस पर गंभीर चर्चा अधिकतर शुरू हो जाती है। हाल्हि में ताजा मामला वकीलों की उस मांग का है जो MP उच्च अदालत से होते हुए सर्वोच्च अदालत की चौखट पर पहुंच गया ! MP हाई कोर्ट बार एसोशिएशन का कहना है कि सभी बार एसोसिएशन हाई कोर्ट परिसर के अंदर है और उसका ही हिस्सा है ऐसे में उन्हें बिजली के बिल से वकीलों को राहत दी जानी चाहिए। इसी चर्चा में ये भी कहा गया था कि सभी बार एसोसिएशन पर बिजली शुल्क नहीं लगाया जाना चाहिए, क्योंकि न्याय प्रशासन में बार की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
सर्वोच्च अदालत की अहम टिप्पणी !
टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार सर्वोच्च अदालत (SC) की वैकेशन बेंच के सामने हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के वकील श्री सिद्धार्थ आर गुप्ता ने अपना पक्ष रखते हुए बिजली के बिल के लिए राहत की मांग की। इस याचिका पर सुनवाई करते समय सर्वोच्च अदालत ने कहा, कि 'किसी को भी बिजली के बकाया बिल में भुगतान से छूट देने का सवाल ही नहीं उठता है। उच्च न्यालाय, सर्वोच्च न्यालय और संसद सभी अपने बिजली बकाया का भुगतान करते आ रहे है। एक बार जब भी आप बिजली उपभोग करने के लिए जरूरी नियम कायदों के तहत मीटर लगवाकर बिजली इस्तेमाल करने लगाते हैं तो आपको बिजली उपभोग शुल्क का भुगतान करना ही पड़ेगा ' सर्वोच्च अदालत ने ये भी कहा कि बिजली तब तक मुफ़्त नहीं हो सकती है , कि जब तक सरकार खुद चाहे की हाई कोर्ट बार एसोसिएशन से शुल्क न लेने का नीतिगत निर्णय नहीं लेती। न्यालय ने यह भी पूछा कि पॉलिसी मेकिंग से जुड़े इस मामले में सिर्फ हाई कोर्ट बार एसोसिएशन को ही क्यों बाकी जिला कोर्ट के निकायों को भी इसका लाभ दिया जाना चाहिए।
कोर्ट ने कहा की 94 लाख के भुगतान को लेकर फौरी राहत लेकिन !
हालांकि याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च अदालत ने कुछ समय के लिए बार एसोसिएशन से बकाया धनराशि की वसूली पर रोक लगा दी है । और अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बेंच ने याचिकाकर्ता से यह भी पूछा, की 'अगर अधिवक्ताओ को बकाया राशि का भुगतान करने में छूट दी गई, तो बिजली वितरण कंपनी इसे अन्य उपभोक्ताओं से वसूलेंगी, जिनका न्याय वितरण प्रणाली से कोई लेना-देना व सरोकार नहीं है। ऐसे में कंपनी के सिर पर ये बोझ नहीं लादा जाना चाहिए।' गौरतलब है कि इस याचिका में यह भी निर्देश कोर्ट से भी मांगा गया था कि मध्य प्रदेश राज्य और विधि विभाग (याचिका में एक पक्ष भी) बार एसोसिएशनों के बिजली बिलों का भुगतान बिजली कंपनियों को करें। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की याचिका के जवाब में सर्वोच्च अदालत ने नोटिस जारी किया है।
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